।मानव के कर्तव्य।
।मानव के कर्तव्य।
मानव और मानवता का, रिश्ता बड़ा पुराना है।
सुख- दुख में एक दूजे का, साथ सभी ने निभाना है।
यही मानवता धर्म हमारा, यही मानव की परिपाटी है।
मुसीबत में मिले जो साथ, यही तो हमारी थाती है।
हाथ बढ़ाओ कदम बढ़ाओ, मिलकर सबका साथ निभाओ।
पड़ा हुआ हो जो धरती पर, उसको ऊपर आज उठाओ।
हम सारे इंसान बराबर, न कोई ऊंचा न कोई नीचा।
हाड़ मांस के बने सब मानव, एक खून से सब को सींचा।
कर्तव्य हमारा मानवता है, मानवता है धर्म हमारा।
मानवता की धर्म ध्वजा ले, गीत प्रेम के गाए सारा।
मनुष्यता के कर्तव्यों को समझो, मत नादानी दिखलाओ।
बन करके इंसान तुम सच्चे, अपना मानव धर्म निभाओ।
है सच्चा इंसान वहीं, जिसने मानवता पहचानी है।
श्रेष्ठ वहीं मानव धरती पर, संवेदनाएँ जिसने जानी हैं।
हिल मिल कर मानव का रहना, मानव धर्म सिखाता है।
मानव का कर्तव्य यही है, सबको ऊंचा यही बनाता है।
करे प्रेम जो मानवता से, समझो सच्चा इंसान वहीं।
निस्वार्थ भाव से करे जो सेवा, सच्चा है ईमान वहीं।
इस धरती में सब जीवों से, मानव कर्तव्य निराला है।
सब जीवों में आत्म ज्ञान में, मानव सबसे आला है।