अनकहे शब्द
अनकहे शब्द
ज़िंदगी खुशनुमा हो जाए
गर अनकहे शब्द बोल उठे
कहीं हो इन्हें समझने वाले
कोई पहचान इन्हें दिला सके
इन शब्दों की खोज जटिल है
नासमझ की सोच कुटिल है
यूं तो प्रेम की ये परिभाषा है
मगर तनाव भी इनकी भाषा है
किसी को अपना दिल दे बैठे
या मन में जंग का मैदान हो
या हो करुणा का तरल रूप
या हृदय में बसे भगवान हो
बना हो साजिश का हिस्सा
जिसका रूप विशाल हो
हो हीनता मनोभाव की
जिसका अर्थ विकराल हो
होते नहीं प्रत्यक्ष कभी ये
मन - मस्तिष्क में छा जाते हैं
कभी अश्रु बन कर उमड़ जाते
कभी खीझ बयां कर जाते हैं
अनकहे शब्दों को सुनने वाले
लोग बहुत मुश्किल से मिलते हैं
जिनको अपनों का साथ मिला वो
इन शब्दों से प्रेमखत लिखते हैं।
