पिता का प्यार
पिता का प्यार
पिता का प्यार दुनिया में
होता सबसे निराला है
सांस से शुरू संसार तक
बनता शिशु का सहारा है
पिता की गोद में सुरक्षित
नन्हा खुद को पाता है
कभी इठलाता गोद में
कभी लगाता ठहाका है
आकाश छूने की चाह में
पिता कंधे पर बिठाते हैं
बच्चे की जिद पर झट से
वह घोड़ा भी बन जाते हैं
नहीं देख पाते दुःख में बच्चों को
पिता दिन - दूनी मेहनत करते हैं
सब सुविधाएं दे सकें बच्चों को
वे इसी चिंता में डूबे रहते हैं
बच्चे के जन्म से ही पिता की चिंता
उसके भविष्य को लेकर होती है
वेतन में से थोड़े पैसे बचाकर रखना
ये प्रक्रिया तभी से प्रारंभ हो जाती है
मिले अच्छा पोषण बच्चों को
परवरिश अच्छी हो जाये
मिले अच्छी शिक्षा उनको
करियर बेहतर बन जाये
फिर भी पिता की चिंता का अंत नहीं
चाहते हैं बच्चों का घर अब बस जाये
ना हो मेरे बच्चों को कोई दुःख जीवन में
दुनिया की सारी खुशियां उनको मिल जायें
फ़िक्र में रहते हुए भी, पिता
मुस्कान अधरों पर रखते हैं
आने नहीं देते शिकन चेहरे पर
बच्चों के संग चहकते दिखते हैं
पिता से बड़ा कोई नहीं जहां में
ना कोई दूसरा अडिग सहारा है
पिता का अद्भुत प्यार जगत में
इस पर हर बच्चा बलिहारा है।
