ज़िन्दगी का आईना
ज़िन्दगी का आईना
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ज़िन्दगी ने ज़िन्दगी भर का हिसाब कर दिया।
जैसे इश्क़ ने मदहोशी को बेहिसाब कर दिया।।
यूं तो हम ज़माने भर में मशहूर हो गए।
ख्वाहिशों के मंज़र मानो कसूर हो गए।।
अच्छे इंसान हो साथ तुम्हारे सदा अच्छा ही होगा।
दुनिया की बातों में रहे लगा कोई तो यहाँ सच्चा होगा।।
मगर यह भ्रम हमारे उन्हीं अज़ीज़ लोगों ने टिकने न दिया।
हमारी बुराइयों के पुल बाँध कर सामने हमें झुकने भी न दिया। ।
शान-ओ-शौकत की फ़िज़ा जनाब इस कदर छाने लगी ।
गिरगिट ज़माने को देख कर आज दुष्टता भी मुस्कुराने लगी।।
