आज़ादी के किस्से
आज़ादी के किस्से
आज़ादी के न जाने कितने किस्से अमर हो गए
आजादी पाने के लिए स्वदेश में कई समर हो गए
सिंदूर मिटा, राखी छूटी, गोद सूनी हो गई
दृश्य देख माँ भारती की चिंता दूनी हो गई
डंडे खाए, गोली खाई, फांसी पर भी चढ़ गए
देशहित में सर्वस्व लुटाकर अमर कहानी गढ़ गए
भारत देश के वीर सपूत वीरता की दिव्य लौ जला गए
मिटने न देना अस्तित्व देश का, पल्लव-पुष्प सहला गए
ऐसे वीरों की बलिदानी इस धरा को शाश्वत धन्य कर गई
स्वतंत्रता, न्याय, एकता, प्रेम, समरसता से प्राधान्य कर गई।
