स्वप्नों का सफ़र
स्वप्नों का सफ़र
स्वप्नों का सफ़र यूं ही चलता रहे
लक्ष्य की ओर जीवन बढ़ता रहे
हों मुकम्मल हर ख़्वाब जो देखें
ईमान का कारवां यूं संवरता रहे
जीवन में सुख हर पल रहे या ना रहे
मगर दुःख में साहस कभी कम ना रहे
मोहक मुस्कान सदा अधरों पर बनी रहे
सपना सरस जो परहित कर्म सिखाता रहे
उर में उल्लास सदा बढ़ता रहे
मस्तक पर तेज चमकता रहे
संग सज्जनों के हम यूं चलते रहें
पुष्प उपवन में ज्यों महकता रहे
दिल से दिल यूं ही मिलता रहे
गुल प्रेम का सदा खिलता रहे
स्वप्न में भी ईश्वर का ध्यान कर सकें
ऐसी अर्जी हरि चरणों में सदा लगती रहे।
