तेरा विवाह सफल होगा
तेरा विवाह सफल होगा
तेरा विवाह , सफल होगा
तू जहाँ होंगी, वही मंगल होगा...
चांद तारे होंगे तेरी ख़िदमत में
सूर्य सा उजला तेरा कल होगा
तेरा विवाह, सफल होगा
तू जहाँ होगी,वहीं मंगल होगा...
मिली जो इस पागल से
कुछ तो तब सीखा होगा
अमल में लाना उसको
दाम्पत्य जीवन
बिना उसके फीका होगा
मेहन्दी सजे तुम्हारे हाथों में तब
मुझे मत याद करना
सजना सँवरना बन ठन के
बस मिलन की मुझसे
न फरियाद करना
तेरा विवाह ,सफल होगा
तू जहाँ होंगी, वहीं मंगल होगा
जिस संग जीना है जन्म जनम
सर्वस्व समर्पित बस उसको करना
तन भी मन भी
और रूप का यौवन भी
उसी के ख़ातिर सुशोभित करना
कामिनी नहीं तुम कामतृष्णा की
गंगाजल की मूल पवित्रता हो
जहाँ भी तुम जाओगी
सुख वैभव साथ चलेंगे
संभव नहीं वहाँ दरिद्रता हो...
तेरा विवाह सफल होगा
तू जहाँ होंगी, वही मंगल होगा...
गृहस्थी को तुम
अपनी पावन करना
अर्धांग संग मिलकर
जीवन को सावन करना...
विवाह खेल तमाशा नहीं कोई
पवित्र दाम्पत्य जीवन की आशा है
विश्वास- समर्पण आधार है इसके
और सम्पूर्णता की यह परिभाषा है
दो आत्माओं का यह पवित्र मेल है
वासनाओं का नहीं कोई यह खेल है
विश्वास संयम नियम आधार तत्व है
शादी बिना इनके विकारों की जेल है
रखना इस सीख को याद तू
उजला जिससे तेरा हर पल होगा
हाँ पगली
तेरा विवाह सफल होगा
तू जहाँ होंगी, वही मंगल होगा...
पति को पतित होने से अपने
सदा बचाना तुम
यौवन की माया में नहीं,
अपनी रूह में उसको समाना तुम
प्यारी गुड़िया इस सीख से तुम्हें
दाम्पत्य अपना आदर्श बनाना है
बाकी तू भी देख रही है
अमर्यादित चाल चलन और
तलाकों से भरा पड़ा ज़माना है
अपने रिश्ते का पतन नहीं
तुम उन्नति का आधार बनोगी
दोगी नन्ही किलकारियां
उस घर में तुम
और उन सबका चहेता
प्यारा सा संसार बनोगी...
ओ पगली
तेरा विवाह सफल होगा
तू जहाँ होंगी, वही मंगल होगा...
जाओ अब तुम
अपनी उस प्यारी दुनिया में
भूला दो इस अतीत को
अब बैठ जाओ
स्वर्णिम भविष्य की बगिया में...
संस्कारों से तुमको
सास ससुर की सेवा करनी है
विवाह जीवन में मिठास भरकर
उनकी नाज़ुक मनोस्थिति
जैसे मेवा करनी है...
बस उसी के नाम की
सिंदूर से अपनी मांग भरना
दिल में रखना सिर्फ उसी को,
जिससे तुम विवाह करना...
मंगल सूत्र प्रतीक होगा,
तुम्हारी मासूम खुशियों का
आज़ादी पर अपनी
इसे वजन न समझना
यह शक्ति अदृश्य है पवित्रता की
इसका महत्व तुम
कभी कम न समझना
विनती मानो तो बस इतनी
भारतीय संस्कृति की
सदा तुम लाज रखना
पति का दिल दुखाकर
कभी न कोई काज करना...
दृढ़ रहना इन बातों पर
साजन का प्रेम
तुझ पर पल पल होगा
हाँ तेरा विवाह सफल होगा
तू जहाँ होंगी, वही मंगल होगा
सुनो थोड़ी ज़िद्दी हो तुम
अधिकारों से अपने
कभी कर्तव्यों पर न प्रहार करना
भावनाओं की डोर पर
तर्क के खंजर से न वार करना
ओ पगली
जंग नहीं जितनी तुमको
बाबा अपने रिश्तों को जीताना है..
त्याग और समर्पण से ही
सदा उनको निभाना है...
मातारानी को ही
नारी का आदर्श समझा है मैंने
उन्हीं से लेकर प्रेरणा
समर्पित अंगार तुम्हें बनना है
उन्हीं की भांति पवित्रता से सजकर
तन मन पर
संयम का श्रृंगार करना है...
लोगी जो तुम सात फेरे
वो हर वचन तब याद रखना
उनका पालन तुम
मेरे जाने के बाद करना...
मैं नहीं वो आशिक जो
अगले जन्म तक तुम्हारा
मिलन के लिये इंतजार करूंगा
सच्चे रिश्तों का समर्थक हूँ मैं
घर बसने के बाद तेरा
भला क्यों पुकार करूंगा..
पगली तुम स्वामी संग ही अपने
हर जनम अपना आबाद करना
अब तक वक़्त जो दिया सो दिया
अगर तेरी माँग का सिंदूर नहीं मैं
तो फिर न मुझे कभी याद करना...
पगली अपने स्वामी संग ही
अपना जीवन आबाद करना...
न इधर के रहे हम
न उधर के रहे
पगली यह अच्छा नहीं होता
पूर्ण समर्पण जब तक न हो
दोस्ती हो या प्रेम
वह सच्चा नहीं होता..
जानता हूँ कि बातें थोड़ा कठोर लगेगी
पर जीवन को तेरे यहीं नरम बनाएंगी
भले रूठ जाना तुम चाहें मुझसे
पर वादा करो कि
इन्हें आप अपनाएंगी...
शब्द मेरे मिटते नहीं
क्योंकि माँ की यह निशानी है
ख़ुशी के खातिर तेरी उतरा है सबकुछ
मेरी हर सांस तेरी दीवानी है...
इस कविता पर
जब भी अमल होगा
सुखी होगा गृहस्थ तुम्हारा
और मन भी तेरा निर्मल होगा...
अब विदा लेकर तुमसे
फिर यही दुआ देता जाता हूँ
जा
तेरा विवाह, सफल होगा
तू जहाँ होगी, वहीं मंगल होगा...
तेरा विवाह सफल होगा...