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Dr.Ankit Waghela

Abstract

5.0  

Dr.Ankit Waghela

Abstract

ये शब्द है !

ये शब्द है !

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ये शब्द हैं! ये अक्सर निशब्द कर जाते हैं।

इनका इल्म रखे..ये दुनिया चलाते हैं

ये शब्द हैं ! ये तो इतिहास रचाते हैं


कुछ बने अल्फ़ाज़.. तरननुम ईश्क बतलाए हैं

कहीं ज़ुबां पे मां बने..ममता के साए हैं

रचे वो घनघोर सेना..जब प्रतिज्ञा बन जाते हैं

कहीं कागदी नज़्म..उस शायर को बयां कर जाते हैं

ये शब्द हैं ! ये अक्सर निशब्द कर जाते हैं।


हैं संदेशा बने..पराकाष्ठा दर्द की जताते हैं

हर्फ बा हर्फ जब पढ़े..तो उनकी याद दिलाते हैं

कहीं गीत बना होठों के... मनमूरछित कर जाते हैं 

कहीं संगीत बने..तार सूरों के समझाते हैं

ये शब्द हैं ! ये अक्सर निशब्द कर जाते हैं।


तलफ़्फ़ुज़ हर अक्षर का सिखाए..ज्ञान धारा बहाते हैं

कहीं पहेली बने..पहेलू ज़िन्दगी के समझाते हैं

वचन बने सितापती के.. दशानन संहार रचाते हैं

इनका इल्म रखे.. ये तो इतिहास रचाते हैं

ये शब्द हैं ! ये अक्सर निशब्द कर जाते हैं !


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