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Dr.Ankit Waghela

Tragedy

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Dr.Ankit Waghela

Tragedy

फिर लिखा है तुम्हें!

फिर लिखा है तुम्हें!

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बता दिल तु क्यूं रोता है ? देख ! यादें फिर बदनाम है

यादे भी समजोता है, कहती है वजूद उनके तमाम है


चार दिन सिसकियों के, पलभर का ही तो अंजाम है

बा अदब तेरी खुशबु रही है, बाकी बचा तेरा नाम है


चांद तो रोज़ निकलता है , गाफिल फिर भी शाम है

फिर लिखा है तुम्हें, मयखाने में छलका तेरा जाम है।


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