मां
मां
कभी गर्भस्त्राव,कभी नेत्रस्त्राव.. मन में लिए अगूढ़भाव
छन से जलाए अपने पाव, सदाबहार है वो शीतल छाव
तेरा ऋण रहेगा सदा, कण से रण क्या होता है अदा?
एकाक्षर नही परमाक्षर, मां तु प्रेमपरायण अंतरभाव !
कभी गर्भस्त्राव,कभी नेत्रस्त्राव.. मन में लिए अगूढ़भाव
छन से जलाए अपने पाव, सदाबहार है वो शीतल छाव
तेरा ऋण रहेगा सदा, कण से रण क्या होता है अदा?
एकाक्षर नही परमाक्षर, मां तु प्रेमपरायण अंतरभाव !