'बेटी.... समंदर पार'
'बेटी.... समंदर पार'
मैंने जो तुमको सिखाया,
वो सच कर दिखाया,
जियो मेरी लाडली.
हमारे जमाने नहीं हैं पुराने
ये तुमने जान लिया.
चलती रहो धीरे-धीरे,
ये जीवन है दौड़ नहीं.
हर पल की कीमत को जानो,
कहीं इस का मोड़ नही.
चलते रहेंगे ये रस्ते
ये नाते ये रिश्ते,
निभाना प्यार से.
कहता रहे कुछ ज़माना
न दिल से लगाना,
तू है मेरी लाडली.
बीजे हैं बीज ख़ुशी के
तेरे उपवन में,
सबा घर महकाये.
फ़ूल खिलेंगे डगर में,
रहो जिस नगर में
बसे खुश, खुशहाली
दिल से है भेजी दुआ ये
रहो सदा मुस्काती.....!
