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Nisha chadha

Abstract

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Nisha chadha

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' दो शब्द गुनगुने '

' दो शब्द गुनगुने '

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चाय की बदौलत कुछ पल

कुछ लोगो के लिए

जीने का तरीका बन जाते हैं

चाय पीते हुए बातें करना

जिन्दगी में रंग भर देता है

सुबह की सुनहरी धूप

हाथ में अख़बार और

एक प्याला गर्म चाय

चाय की चुस्कियों के बीच

अख़बार पढ़ने का मज़ा

ही कुछ और है

चहकते पंछी

शीतल मद -मस्त हवायें

हरी घास का कालीन

वृक्षों के पीछे से लपकती झपकती

सुनहरी किरणें

हाथ में मसाला चाय

सारे दिन का ताना - बाना

मैं तो सुबह की चाय पर ही

बना लेती हूं, और आप? 


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