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Nisha chadha

Abstract

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Nisha chadha

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माँ ..... तुम्हे याद है?

माँ ..... तुम्हे याद है?

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मैं घर के अपने कमरे में 

छोड़ आई थी, कुछ किताबें और 

शरारते बचपन की 

आपने सभांल ली थी न माँ ,

सहेलियों का घर आना 

पेड़ से तोड़ कर 

कच्चे अमरूद और जामुन खाना ,

सावन में गाने सुनते हुए 

झूला झूलना 

माँ ..आपको याद है न ,

मेरी डायरी 

कुछ ज़रूरी नोट्स 

मेरी पेंटिंग्स 

स्टैंप्स का एल्बम 

सिक्कों से भरी गुल्लक 

जो आपने मेले से ले के दी थी 

कुछ याद आया ...माँ ,

गर्मियों की रात में 

ठंडे पानी का छिड़काव 

छत पर बैठ कर दादी जी से 

'परियों ' की कहानी सुनना 

तारा टूटने पर आंख बंद करके 

''विश 'मांगना 

और क्या क्या याद है ..माँ? ,

मैं तो अपने साथ ले कर आई थी 

अपनी शिक्षा और 

आपकी दी हुई ' संस्कारो की पोटली ' 

इसीलिए सब संभाले हूँ 

अपनो को भी 

और .. सपनों को भी 

आप खुश हो न ...माँ .?



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