स्वप्न होंगे
स्वप्न होंगे
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स्वप्न होंगे पूरे वहाँ, मेरे जहाँ मैंने अपना दिखा।
खाबों की गहराई, जिसमें सिमट दिया सुना।
एक नया आशियाँ, सजाऊँगा में अपना वहाँ।
एक सुंदर सा घर, अपना जहाँ नया बनाना।
ख़यालों में फिर, खोने लगा अपनों से जहां।
ख़ुद से खुद ही, अल्फ़ाज़ बिखरना कहाना।
गुलिस्तां में एक, आशियाना देखने जो लगा।
हार्दिक अपना वहाँ, घर नया हैं तेरा बनाना।