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Sanjay kumar Yadav

Abstract

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Sanjay kumar Yadav

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आ जाया करो

आ जाया करो

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आते हो सपने मे मेरे तुम

कभी हक़ीक़त मे भी आ जाया करो 

हर रोज मुस्कुरा कर तुम ऐसे ना जाया करो..


तुमसे ही दिन ढलता हैं मेरा यें शाम तुम्हीं से होता हैं

चुपके से रात की चांदनी मे तुम ऐसे ना खो जाया करो..


तेरे आने की आहट से यें दिल मेरा मचल सा जाता हैं

ऐसे देखकर मुझे तुम दिल की धड़कन ना बढ़ाया करो....


आते हो सपने मे मेरे तुम

कभी हक़ीक़त मे भी आ जाया करो..


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