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Sanjay kumar Yadav

Abstract

4.5  

Sanjay kumar Yadav

Abstract

पास आ जाओ ना

पास आ जाओ ना

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दूर हो कही पास आ जाओ ना....

इन आँखों को अब तड़पाओं ना 

महक हो तुम मेरे दिल के धड़कन की


अब इस धड़कन को और बढ़ाओ ना 

दूर कहीं हो पास आ जाओ ना ....


ये हवाएं अभी गुजर गई मेरी कानो से 

तेरी खुशबू को बिखेर कर 

ना जाने ऐसा क्यू लगा मुझे 

जैसे तुम पास हो मेरे यही कही


अब ऐसे तुम तड़पाओं ना 

दूर कही हो पास आ जाओ ना...


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