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Sheetal Raghav

Abstract Inspirational

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Sheetal Raghav

Abstract Inspirational

मेरी माँ

मेरी माँ

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एक बेटी का पत्र माँ के नाम :


माँ तेरी बहुत याद आती है।

सब याद है मुझे मां,


खुशियां और गम सब,

हमारे लिए सह जाती है,

तपती धूप में भी आंचल से,

हवा हमें कर जाती है ।


पोंछकर आँचल से पसीना,

सिखलाती है हर हाल में जीना ।


मां याद है मुझे,

जब बुखार में तड़प रही थी तुम,

मेरे बच्चे छोटे हैं, भूखे हैं कहकर,

खाना बनाने की कोशिश में,

बार-बार तड़प कर उठ रही थी तुम ।


तब हमारी भूख के कष्ट को,

महसूस कर रो रही थी तुम !

आज उस दुख को मैंने,

मां बनकर पहचाना है,


कैसे अपने बच्चे का दुख अपना है,

नहीं, वह दुख बेगाना है,


माँ तेरी ममता की छांव में,

जो खुशियां पाई थी हमने,


सारी खुशियां बहुत याद आती है माँ,

माँ,

तेरी ममता की छांव में जो ,

खुशियां पाई थी हमने,

वह छांव वह खुशियां,

बहुत याद आती है, माँ ।


याद आ - आ कर,

बार-बार मुझे रुला जाती है माँ ।

माँ

तेरे हाथ की वह गरम रोटियां,

आज बहुत याद आती है,

जो ससुराल में तवे पर ही पडी पडी

 ठंडी हो जाती है।


तब तेरी बहुत याद आती है,

जब शरीर पर बुखार की 

गर्मी चढ़ जाती है माँ, ।

तेरे प्यार की,

तेरी हथेलियों की,

शीतलता तब बहुत याद आती है माँ ।


वह सर्द रातों में जाग जाग कर,

बारी-बारी हम तीनों को 

रजाई में छुपा जाना,

बहुत याद आता है हमें,

तेरा देख देख कर हमें, यूं मुस्कुराना ।


गलती पर डाट देना और,

फिर अपने सीने से लगा लेना ।

याद आता है तेरा वह,

प्यार से मेरे सर पर हाथ फिरा देना।


सच मानो अपने आप,

हर तकलीफ एक बार में ही,

चली जाती थी,

इसलिए ही तू,

हमें इतना याद आती है माँ ।


गोद में सर रखकर वह,

तुझसे लाल लड़ाना,

याद आता है।


वह तेरी ममता भरी गोद,

बार-बार तेरा वह हमसे,

लाड़ लड़ाना याद आता है ।


याद आता है तेरा वह हमारी ढाल बन जाना।


सर से पांव तक मिर्च को उसार कर,

नजर उतार लेना,

थू थू कर माथा बार-बार 

चूमना याद आता है, माँ


तू तो मेरी शादी की 

चर्चा पर ही रो देती थी,

कैसे रह पाऊंगी, जीवित में इसके बिना,

बार-बार यही कहती थी,

कैसे रह पाऊंगी मैं तेरे बिना,

कह कर मुझे,

अपनी बांहों में समेट लेती थी।


वह तेरा मेरे सिर पर चुनरी ओढ़ाकर,

देर तक मुझे निहारना याद आता है, माँ ।


वो सर्दियों वाली सुबह की,

कड़कड़ाती ठंड में जब,

सबको चाय देती हूं तब,

उस चाय की महक में,

तुम्हारी याद आती है माँ ।


क्यों रीत भगवान ने बेटी 

की विदाई की बना दी,

जब हुई थी,

मेरी मेरे मायके से विदाई,

तब बहुत याद,

आई थी, तुम्हारी माँ ।


जब ससुराल पहुंच गई,

और रच बस गई उस घर में,

जब हर काम में होती थी,

मेरे नाम की पुकार,

थक कर एक कोने में बैठ जाती थी मैं,

तब तुम्हारी बहुत याद आती थी माँ ।


जब कोई माँ , बेटी को 

शॉल उड़ाते दिखती थी,

तब उनमें तुम नजर आती थी,

जब कोई बोलता था ना माँ,

तब मैं खुद में ही सिमट जाती थी ।


फोन पर बात करने से मन नहीं भरता,

लगता है, तुझ से लिपट जाऊँ मैं माँ ।

जब कोई मां बेटी को दुलारे,

तब, मन कहता है,

तुम से लिपट कर एक बार रो लूं,

फिर वही तेरी नन्ही गुड़िया बन,

तेरी ममता के साथ खेलूँ।


बन पुनः नन्ही बिटिया में,

तेरी गोदी में समा जाऊं।


काश यह समय का पहिया,

वापस लौट पाता तो,

तेरी उंगली पकड़कर,

फिर एक बार चल लेती मैं माँ ।


जब कोई माँ लोरी सुनाती है तब,

तुम्हारी बहुत याद आती है।

तू कितनी भोली और प्यारी है माँ,

कैसे तुझसे दूर होकर, चल पाई हूं,


यह तो सिर्फ मेरा ही दिल जानता है ।

माँँ, की ममता क्या होती है,

यह अब मां बनकर पहचान पाई हूँ ।

जब आई अवंतिका मेरी कोख में,

तब तूने रात दिन मुझे अपना सौंप दिया,


पहले मेरी परवरिश में 

रात जाग - जाग कर बिताई,

अब पोती पर तूने, 

फिर सारा अपना लाड उड़ेल दिया।

माँ,


लगता है तेरे साथ,

खेलूं मुस्कुराओ मैं,

घंटों तेरे सिरहाने पर,

सिर रखकर,

तेरे साथ हजारों बातें कर जाऊं मैं।


माँ,

काश यह पल वापस आ जाते,

ठहर जाते यही,

जब तू मेरे साथ थी।


वैसे तो तू हर जगह,

हर पल मेरे साथ है।

बस थोड़ा सा दूर है

पर तुझे बहुत याद कर,

रो पड़ती हूं मैं।


माँ तू जितनी दूर है,

उतनी करीब भी है,

मेरे हृदय में लगी हुई तेरी ही तस्वीर है।


माँ तू किस्मत है मेरी,

इसलिए तो मेरा भाग्य उदय है।

माँ तू है मेरे साथ तभी तो,

मेरी ताकत मेरी हिम्मत है,


माँ तुझ से ही तो 

संस्कारों का पाठ मिला,

जिससे ससुराल में मैंने 

सबका दिल जीत लिया।


माँ तू खास है,

अनमोल है मेरे लिए ।

ऐसे ही साया अपना,

हमारे सिर पर बनाए रखना ।


प्यार और ममता की छांव में,

हमेशा हमें रखना तू ।


मां कभी तू उदास मत होना,

नाराज कभी अपने बच्चों से मत होना,

नहीं तो किस्मत हमसे रूठ जाएगी,


तू मेरी सिर्फ माँ नहीं, सखा भी है

तू ही हमदर्द, दवा तू ही है,

 

माँ तू जननी है।

तू ईश्वर तुल्य है माँ

तू सिर्फ निर्मल मन माँ है,

र्निर्मल मन ।

माँँ, ओ, 

मेरी माँँ।


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