Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

सोनी गुप्ता

Abstract

4.5  

सोनी गुप्ता

Abstract

मनुष्य और जानवर

मनुष्य और जानवर

1 min
506


क्यों मनुष्य स्वयं को नहीं समझ पाता,

न जाने जानवरों को कैसे यह समझेगा

अमानवीय व्यवहार इनका बढ़ रहा है

न जाने कब थमेगा इनका यह अत्याचार

मनुष्य गलत आचरण करता जब –तब

इसलिए हिंसक पशुओं सा कहलाता है


स्वयं व्यवस्थित न होकर भी दूसरों को

व्यवस्थित होने का पाठ यह पढ़ाता है

मनुष्य होकर भी पशुओं सा काम करता

गलत कर्म करने पर दिल नहीं घबराता है

बुरे आचरण करता यह मनुष्य आखिर

मनुष्य ही क्यों कहलाता है 


वर्तमान समाज में मनुष्य जानवरों की तरह

अपनों को लूट- खसोट कर धन कमा रहा है

अपनी नासमझी के कारण जानवर कहला रहा

अपने अहंकार का गर्जन दूसरों को सुनाकर

खुद को समाज में सर्वोपरि मान रहा है

अपने फायदे के लिए जानवर बनना भी मंजूर है

जहरीले विषाणु की तरह जहर फैला रहा है


मनुष्य की मानसिकता इतनी बदल गई ,

अपनों को ही नोच –नोचकर खा रहा है

परिवार और समाज का हितैषी बनकर

छल से सब पर घातक प्रहार कर रहा है

ऐसा मनुष्य जानवर ही कहलाता है

जो बुरे वक्त पर भी अपना लाभ गिनवाता है II  


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract