Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

PRIYA SHARMA पँखुड़ी

Abstract

4  

PRIYA SHARMA पँखुड़ी

Abstract

पुराने मकान

पुराने मकान

1 min
388


पुराने मकान के धराशायी होने से पहले 

वक्त निकाल कर सोना उसकी गोद मे तुम

जितनी खुशियों के साक्षी तुुम रहे हो

कितने ही गमोंं को दफन कियेे बैठा है वो

स्नेह से दीवारों को देना


अपनी अंगुुुलियों का स्प‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌र्श 

सालों से दबी सीलन की,

नमी महसूूस होगी तुम्हें

जर्जर छत को भी,


नजर भर देेेख लेना तुम

गवाह वो भी रही हैै,

तुम्हारी बढती उमर की

दरवाजों से अब मत टकराना तुम,

ढीले जो पड़ गये हैं

उनकी सख्ती ने ही तो,


मजबूत बनाया था तुम्हें

रसोईघर मेेंं मत जाना, 

माँँ याद आयेंगी तुम्हें

आँसुओं को अब उनका,

ममतामयी स्पर्श नही मिलेगा


सीढियों पर बैठकर, 

अपने कदमो की आहट सुुनना तुम

बचपन में ऊँचाइयों को छूना, 

उन्ही से सीखे थे तुुम

खिड़कियों को जरा खोलकर, 

ताजा हवाओं को लाना तुुम

लौटने से पहलेे एक बार फिर,

उन्हें जीवित कर देना तुम।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract