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GOPAL RAM DANSENA

Abstract

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GOPAL RAM DANSENA

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अधर्म से लड़ाई

अधर्म से लड़ाई

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मैं अधर्म से लड़ने

हथियार ले चल पड़ाI

पर पहचान है क्या

ये मुश्किल था खड़ाI

हजारों यहां लोग

हजारों उनके मत यहांI

निचोड़ निकाला एक एक

शब्द शब्दों का सागर महाI

मैं बाइबिल कुरान, वेद

पढ़ा जानने इसका भेदI

मानव रूप में छुपा वो

कुटिल उसके चाल है।

सब पर उसने यहां

फैलाया मायाजाल है।

राजा से रंक तक

अनाक्षर से साक्षर सब

जनता से ज़न नेता तक

अधर्म मुझे व्याप्त दिखा ।

हर धाम, हर काम हर नीति में

उसका उपस्थिति पर्याप्त दिखा ।

िस किस से लड़ू

किसका असर ज्यादा है ।

लगा ना कोई ज्यादा ना कम

सब विनाश के लिए आमादा है ।

कोई मारता भेष बनाकर

कोई मारता उद्देश्य बनाकर

कोई मारे रिश्वत लेकर

बन नेता मारे आश्वस्त देकर

ऊपर से नीचे तक पर्सेन्ट बंधा

सब देखकर हो रहे हैं अंधा

कहीं धर्म बन लाखों दान चढ़ रहा

कहीं धन बन गर्व से अपमान गढ़ रहा

चारों ओर मेरे और मुझमें भी

स्वार्थ पग ,कर लोभ,द्वेष का धड़ रहा

मैं मानव उसका सर देख चकरा गया ।

हथियार से जो मारा उसको

मैं खुद ही छितरा गया ।


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