क्या क्या न देखा
क्या क्या न देखा
जीवन की इस सफ़र में, क्या क्या न देखा I
जाने ये सब इत्तफाक है या कर्मों का लेखा I
सपने हजार देखे, खुद को होते लाचार देखा I
छोटी सी जिंदगी में, अरमानों का बाजार देखा I
फर्क क्या भले बुरे में, आफत सिर पर जब ।
अपने भी तो साथ हंसे, जब तक था मतलब I
वो बुरा नहीं था, जिसने मुझे सहारा दिया
बुराई तो नियत में थी, जो हमने धारा दिया
हाँ यहीं जीवन है, जिसका अता पता न देखा
जीवन की इस सफ़र में, मैं क्या क्या न देखा I