ये तो होना ही है
ये तो होना ही है
इस जग में हर छोर दो पहलू
वो नहीं तो ये होना ही है।
सालों मेहनत करके,
जब भूखा सोता इंसान।
अंतर ज्वाला जब धधके
जलता है साथ में हर बिहान।
उनके मरे ,पास अकूत खजाना
अपने मरे ,पास रोना ही है।
इस जग में हर छोर दो पहलू
वो नहीं तो ये होना ही है।
न कल बदला न आज बदला
दिन रात होता रहा।
कोई अपने अपनों के खातिर
राह भर बोझ ढोता रहा।
स्वतन्त्र से गणतन्त्र तक ख्वाब
अरमानों का खिलौना ही है।
इस जग में हर छोर दो पहलू
वो नहीं तो ये होना ही हैI