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Gurudeen Verma

Abstract

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Gurudeen Verma

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जरूरी नहीं ऐसा ही हो तब

जरूरी नहीं ऐसा ही हो तब

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जरूरी नहीं ऐसा ही हो तब,

कि सच हो जाये सारे सपनें,

और सोची हुई बात से नहीं हो,

 कभी कोई भी अलग कुछ बात।


जरूरी नहीं ऐसा ही हो तब,

तुमको वैसा ही मिलूँ मैं,

जैसी तुमको उम्मीद है मुझसे,

और अलग नहीं हो मेरी राह,

तुमसे बिल्कुल भी हटकर।


जरूरी नहीं ऐसा ही हो तब,

तुम बिल्कुल वैसे ही हो,

जैसा कि मैं सोचता हूँ ,

कि कभी नहीं टूटेगा मेरा दिल,

और उम्रभर रहेगा हमारा साथ।


जरूरी नहीं ऐसा ही हो तब,

यह तो समय की बात है,

और समय कभी एक जैसा नहीं रहता है,

क्योंकि पल पल में बदलता है जैसे मौसम,

वैसे ही रोजाना बदलता है दिन,

और बदलता रहता है ऐसे ही नसीब।


जरूरी नहीं ऐसा ही हो तब,

क्योंकि आजादी पाने के लिए जरूरी है,

बहुत सारी जंजीरों-रस्मों को तोड़ना भी,

गुजरना होता है कई अंधेरी राहों से भी,

जीवन में थोड़ी सी रोशनी पाने के लिए,

और चेहरों पर सेहरा भी ऐसे ही बदलता है

इसलिए थोड़ा अपनी सोच भी बदले हम।


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