मेरा अपना
मेरा अपना
तू इतना अपना हो गया है
कि अब सब लगते हैं पराए।
जब सुख था तो सब थे मेरे
हर समय मुझे थे घेरे।
दुख , बीमारी ने जब घर पर मेरे पैर पसारा।
हो गया मैं बिल्कुल बेचारा।
कोई नहीं था पास मेरे तब,
गैरों से नहीं मैं अपनों से हारा।
अन्तर्मन से दुखी होकर जब था मैंने तुझे पुकारा।
पल भर भी नहीं लगाया तूने दिया मुझे सहारा।
मनोबल मेरा बढ़ने लगा।
मैं खुद की बीमारियों से लड़ने लगा।
प्रभु तेरी कृपा से सब काम हुआ।
हार रहा था मैं पर जीत गया।
प्रभु तुझको अब मैं पहचान गया।
केवल तू ही मेरा मैं अब यह जान गया।