रक्षाबंधन
रक्षाबंधन
आया रक्षाबंधन का त्यौहार।
अमर रहे भाई बहन का प्यार।
देखो बहन आज फिर घर आई।
घर में कितनी खुशियां छाई।
बूआ जब दादी से गले मिली तो
दादी की भी आंखें भर आई।
बूआ,दीदी कितने दिन बाद घर आई।
रसोई घर से फिर पूरियों की खुशबू आई।
अब समय यह कैसा आया?
सबको बहुत ही व्यस्त है पाया।
कहां कोई अब किसी से मिलता,
बस त्योहारों की इंतजार है करता।
समय तो आगे भी बदलता जा रहा है।
त्योहारों पर भी मिलना मुश्किल होता जा रहा है।
पूरा संसार मुट्ठी में है लेकिन,
अपना ही घर बिखरता जा रहा है।
छोड़ो झूठे मोह और अहंकार को,
मन में सब प्रेम भाव जगाओ,
रक्षाबंधन की क्यों इंतजार करते हो,
सब भाई बहन एक दूजे से यूं भी मिलते जाओ।
