तुझे ढूंढते हैं
तुझे ढूंढते हैं
बहुत दूर है शहर तेरा फिर भी हवा के हर झोंके से तेरा हाल पूछते हैं।
पता है तू मिलेगी भी नहीं फिर भी इस शहर में तुझको ही ढूंढते हैं।
तेरी यादों को सीने से हर वक्त लगाए बैठे हैं
उन्हीं ख्यालों में आज भी झूमते हैं।
अनायास ही देते हैं उन सवालों के जवाब
जो ख्वाबों में आप हमसे पूछते हैं।
शर्मा के सिमट जाती हैं तू भी खुद ब खुद
जब लगता है आसपास हम घूमते हैं
तेरा ख्याल तेरी हर बात हसीन लगती है।
तू मेरी आंखों में ही तो छुपी लगती है।
जाने कब बना होगा मिलना अब तुमसे
तू दूर है पर दूर नहीं लगती है।

