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Madhu Vashishta

Tragedy Inspirational

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Madhu Vashishta

Tragedy Inspirational

पीर की नीर

पीर की नीर

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पीर की नीर अति दुखदाई। 

पीर किसी से सही ना जाई।

जा के पैर ना फटी बिवाई 

वह क्या जाने पीर पराई।

नीर बहे जब मीराबाई के 

विष को अमृत कर दिया कन्हाई।

बिरहा पीर जब सीता माता से सही नहीं जाई।

रावण का अंत तबहुं किए रघुराई।

पीर के नीर जब भी  बहेंगे।

मन में परमात्मा के ही उतरेंगे। 

फिर तो समझना शामत आई।

नहीं बचेंगे आततायी।



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