कुछ पल.....
कुछ पल.....
तुम कहाँ खो गये ये नहीं है पता,
पर मेरे यादों मे हो भूल नहीं सकता.
तुम भुला दिये या नहीं ये नहीं पता,
पर तुम्हारी यादें हमें बहुत ही सताती .
तुम कहाँ खो गये ये नहीं है पता.........
जब भी आँख बन्द करूँ नींद नहीं आती ,
गुजरे हुए वो पल रोज रोज सताती .
वो पल भी कितनी हसीन हुआ करता,
जब हमारी आंखे एक दूसरे से मिलता.
तुम कहाँ खो गये ये नहीं है पता.......
वो बागो की फूल और खुशबू याद आती ,
जब घंटो भर तुम्हे मैं देखते ही रहता.
भामरे और फूल का खेल देखा करता,
और मन ही मनमे मे खुशीसे मुस्कुराता.
तुम कहाँ खो गये ये नहीं है पता........
वो भी कितनी हसीन पल हुआ करता,
जब छुप छुप के हमें मिलना पड़ता.
जमाना के सताना बड़ा दुख देता,
उसीने तो वो कुछ पल को क्यूँ छीन लेता.
तुम कहाँ खो गये ये नहीं है पता.......
ना मुझे ना तुम्हे ये तो नहीं था पता,
सज्जा भी वो इतने कियुं हमें मिलता.
ये जुदाई की दर्द और सहा नहीं जाता,
काश एक बर फिर तुमसे मुलाक़ात होती .
तुम कहाँ खो गये ये नहीं है पता......
धुन ----
हमें तुमसे प्यार कितना ये हम नहीं जानते,
मगर जी नहीं सकते तुम्हारे बिना....

