प्यार का वजूद
प्यार का वजूद


आज जब अकेले में होता हूं
कुछ पुराने लम्हे याद आती है,
जिसमें मिठास भी था कड़वेपन भी
और उस प्यार याद आता है।
वक़्त के साथ साथ उम्र भी
अब देखो बढ़ने भी लगा है,
तब भी प्यार प्यार ही था
अब भी प्यार देखो जिन्दा है।
तब हम कविताएं लिखा करते थे
अब भी हम लिखते रहते है,
तब वो उसे गुनगुनाती थी
आज प्यार से वो देखती है।
माना वो लम्हे अब बदल गए
पर प्यार कम नहीं हुआ है,
सिर्फ कुछ नजरिया बदल गया है&
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प्यार का वजूद अभी भी है।
तब प्यार में पागल होते थे
अब भी प्यार पागल करते है,
तब प्यार जिंदगी का हिस्सा था
अब भी प्यार का वजूद हिस्सा है।
तब प्यार इम्तिहान भी लेता था
अब प्यार का इम्तिहान भी है,
तब प्यार का वजूद भी था
अब प्यार का वजूद भी है।
अब फिर मुस्कुराते हुए सोचता हूं
प्यार के वजूद पे सवाल क्यूं ?
प्यार तो तब था, अब है
तो ये मन इतना बेचैन क्यूं ?