सावलों पे सवाल
सावलों पे सवाल


ये सही और गलत का सवाल आज भी एक सवाल है,
इस सवाल पे सवाल ही सिर्फ जवाब होकर रह गया है।
जरा सोचो और एक एक सवाल को ठीक से परखो,
अपनी अंदाज से भी सही पर ठीक नजरिये से देखो।
पुर्बजों ने बोले है की सही सदा सही ही होता,
और गलत कभी जीत नहीं सकता।
अगर इस बात मे यकीं करते है,
तो फिर सवालों पे सवाल कियूं करते है?
ये रंग, ये इश्क, ये चाहत, ये मजहब, ये प्यार, सब अपने जगह है,
ये कभी आपस मे न लड़ते न सवाल पूछते हैं।
फिर इनको लेकर आज कियूं इतने सवाल उठता है?
क्यों सही और गलत की बात होती रहती है?
<p>शायद ये सब आज बेबस है,
और इनकी इस्तेमाल हों रहा है।
इसीलिए आज सही और गलत को लेकर सवाल उठता है,
और कुछ तो सिर्फ इन सवाल पे सवाल किए जाते है।
सायद उनको सवालों को लेकर जीने की आदत पड़ गई है,
या वो इस दल दल मे फस गए है।
पता नहीं कब ये सिलसिला ख़तम होगा,
सारे सवालों की जवाब मिल जाएगा।
ये सही और गलत का फैसला शायद तब होगा,
जब रंग, इश्क,चाहत, मजहब, प्यार के इस्तेमाल बन्द होगा।
सवाल पे सवाल करने की आदत छूट जाएगा,
और जवाब पे सबको भी यकीं होने लगेगा,
सारे जहां मे अपनी देश की गुण गान होगा।