STORYMIRROR

Ruchi Mittal

Tragedy

4  

Ruchi Mittal

Tragedy

संयुक्त परिवार

संयुक्त परिवार

1 min
468


तब घर बहुत सुहाने हुआ करते थे,

जब संयुक्त परिवार हुआ करते थे।


अम्मा की लोरी,ताई-चाची का प्यार,

बाबा की आँखों के तारे हम,

ताऊ-चाचा लडाते लाड़।


बुआ का आना,

सबके लिए ढेर उपहार लाना,


नित नए स्वादिष्ट व्यंजनों की भरमार,

जैसे हो कोई त्योहार।


न पॉकेट मनी से मतलब,

ना होती थी टीवी की दरकार,


टिप्पू,चोर-सिपाही,गिल्ली डंडा,

खेल खेलते हम बेशुमार।


गर्मियों में मच्छरदानी लगा,

सबका छत पर सोना,


देर रात तक लड़ते-झगड़ते,

अंताक्षरी का होना।


एक थान से बने कपड़े पहन,

पूरे मोहल्ले में इठलाना,


किसका बच्चा कौन सा,

मेहमानों का भी कन्फ्यूज हो जाना।


अब एकल परिवार में,

कहाँ है वो बात,


सबके हाथ में है मोबाइल,

जिससे दफन हुए जज़्बात।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy