वक्त ने कैसे मंज़र दिखाए हैं
वक्त ने कैसे मंज़र दिखाए हैं
ज़ब कभी वो जज़्बातों की,
गहराई दिखाने को कहते हैं !
फिर दिल दिल नहीं रहता,
बस पैमाने ही हुआ करते हैं !
रहता है किसी दिल में कौन,
ये बातें भला कोई क्या जाने !
हमारे दिल में जो रहते हैं ,
हम उन्हें सिर्फ खूब पहचाने !
अक्सर मचलता है ये दिल,
सदा मेरी यादों में वो रहते हैं !
बीच सफर में रहगुज़र ने भी,
कितने अलग मंजर दिखाए हैं !