तन्हाई है एकाकीपन में
तन्हाई है एकाकीपन में
तन्हाइयां शोर मचाती हैं एकाकी पन में :
हाहाकार मचाती हैं उनकी यादें मेरे मन में !
ना जाने किसकी खोज है, किसकी तलाश है :
वही सबसे प्यारा है मुझे जो मेरे आस-पास है !
हर शाम वापिस लौट आती हैं बेचैन निगाहें :
जिंदगी पहले नाखुश थी, अब बहुत उदास है !