माँ
माँ
मेरी माँ सम कहीं न कोई।
नेक संस्कार हममें बोई।।
लेकिन माँ मैं तुमको खोई।
तुम बिन माँ मैं निशदिन रोई।।
प्यारा नाता तुम्हें बताते।
सर्वश्रेष्ठ माँ को बतलाते।।
सब कुछ हमको तुम्हीं सिखायी।
सच का नित ही पाठ पढ़ायी।।
माँ तो केवल माँ ही होती।
माँ सम और न कोई होती।।
बच्चा दु:खी तो माँ रोती।
अपना सुख-दुख सब वो खोती।।
स्पर्श तुम्हारा जादू करता।
दु:ख-दर्द सब तुरंत हरता।।
याद आज भी सब कुछ रहता।
ये तन-मन अब सब कुछ सहता।।
शत्-शत् प्रणाम माँ को करते।
माता सेवा में सब तरते।।
पाप सभी ही सबके हरते।
पुण्य-कर्म से जीवन भरते।।
