छप्पय छंद
छप्पय छंद
सावन पावस खास, झूम के सावन आयो।
अद्भुत पावन मास, साथ में खुशियाँ लायो।।
भरे नदी-तालाब, धरा हरियाली छायो।
झूम उठा संसार, प्रकृति भी हर्षित पायो।।
तृप्ति मिली है सभी को,बूँदों की बरसात है।
हुआ प्रफुल्लित बीज भी, मिला है उसे सौगात।।
बिल्वपत्र जल धार, खास है महिमा सावन।
सकल जगत के नाथ, लगे ये सबसे पावन।।
भीड़ लगी है खूब, भक्त का लगता तांता।
रहा अलौकिक दृश्य,भजन हर कोई गाता।।
यही सत्य आधार है, ज्ञान-चक्षु को खोलिए।
धर्म-मार्ग संसार को, यही सभी अपनाइए।।
प्रेम-भक्ति की शक्ति, इसी को सब पहचानें।
कर्म बदलता भाग्य, धर्म को हम सब जानें।।
रखना इसका मान, सत्कर्म ही अपनाएँ।
जीवन कर साकार, सबको अपना बनाएँ।।
मानव जीवन है मिला, धन्य जो भाग्य हमारे।
आया सावन मास अब, पुण्य कर अर्जित सारे।।