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AMAN SINHA

Tragedy

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AMAN SINHA

Tragedy

तेरे रूठने का सिलसिला

तेरे रूठने का सिलसिला

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तेरे रूठने का सिलसिला कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है 

लगता है मुझे दिल का किराया बढ़ाना होगा 

बहुत जिये तेरी उम्मीद के साये में अब तक 

अब खुदका एक तय आशियाँ बनाना होगा 


सब जानते हैं पता जिसने ताजमहल बनवाया था 

मगर उन गुमशुदा कारीगरों की खबर कोई नहीं लेता 

रह जाता बनकर ये मकबरा भी एक खंडहर एक दिन 

जो उन हाथों ने इसको आकार ना दिया होता 

   

एक अरसे जो बेकार बैठे हैं 

बेचने अब खुदकों सरे बाज़ार बैठे है 

कोई क्या लगाए इस दौर में कीमत उनकी 

यहाँ तो खुद की दुकान लगाए दुकानदार बैठे हैं।    


उँगलियाँ जो बुनती थी रेशमी धागे कभी 

आज सबके सब यूंही बेज़ार बैठे है 

छोड़ कर हुनर अपना पुश्तैनी करोड़ो की 

आज खुद बिक जाने को बेकरार बैठे हैं।


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