जय श्री राम जी
जय श्री राम जी
साथ ले लक्ष्मण सिया को वन चले श्रीराम जी
जंगलों की रज में शामिल हो गए श्रीराम जी
माता सीता को दिखा था इक हिरण जंगल मे जब
छाल पाने उस मृग की बढ उठे श्रीराम जी
हर के सीता ले गया जब पापी इक वनवास में
इस विरह की आग में तिल तिल जले श्रीराम जी
पूछते थे वो पता जंगल के फूलों पात से
तब वही पर जा मिले हनुमंत से श्रीराम जी
ज्ञात जब उनको हुआ सिये को दशानन ले गया
वानरों की फौज ले लंका चले श्रीराम जी
वन से चुन चुन कर शिलाएं सेतु का निर्माण कर
द्वार रावण के प्रभु जा पहुचे थे श्रीराम जी
मार कर रावण को फिर सिये से मिले श्रीराम जी
आओ मिल कर हम कहे सब जे जे जे श्रीराम जी।