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Santosh Shrivastava

Classics

3  

Santosh Shrivastava

Classics

रंग होली के

रंग होली के

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फुर्सत मिले तो

वृन्दावन आ जाना

कान्हा

करती राधा इन्तजार 

गोपियन संग 


है फुहार 

होली की

रंगों में डूबा है

वृन्दावन सारा


मिटें है सारे

भेदभाव मन के

मिले गले

लगाये गुलाल सब


है गुजिया की 

सुगंध चहुंओर 

खाते 

बैठ सब लोग

है भाईचारे का 

मिलन


होता 

अत्याचारी का अंत

होती जीत सत्य की

देती है संदेश

होली सब को


दुनिया है

रंगों का सैलाब

स्पनिल सपनों 

का फैलाव

फुर्सत मिले तो 

आ जाना

पिचकारी लिये

जिन्दगी में।


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