STORYMIRROR

Santosh Shrivastava

Tragedy

1  

Santosh Shrivastava

Tragedy

यादें

यादें

1 min
389


यादों के 

आगोश में 

मिलन की

आस में 

रात भर वो 

बैठी रही द्वारे।


था 

सीमा पर

सपनों का

सलोना

अंधेरा ही था

राज 

उसके सपनों 

का, 

चलीं  

गोलियां 

बढ़ी धड़कनें 

हुआ 

कुछ 

अपशगुन, 

हरे सपने

मासूम के

और कोई

था नहीँ

वह

उसका

पति।





Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy