अस्तित्व
अस्तित्व
ऐ भारत के भाग्य विधाताओं
आप सब से एक प्रश्न है मेरा
क्या इस समाज में ?
बलात्कार के लिए ही सिर्फ अस्तित्व है मेरा ?
हर गली ,हर शहर ,हर क्षेत्र में
हमारे सम्पूर्ण देश में
लुट रही हो जब मेरी इज्जत
बैठ घरों में लोग तमाशा देखें
क्या सिर्फ इतना ही वजूद है मेरा ?
कभी हार्मोन,तो कभी बेरोजगारी के आड़ में
पुरुष निर्दयता पूर्वक नोचें मुझको
क्या मात्र इसी कुकृत्य के लिए
यह निरीह शरीर है मेरा?
घर,बाहर सभी जगहों पर
कभी पहनावे ,तो कभी बेबाक व्यवहार के लिए
प्रतिदिन प्रताड़ित की जाती हूँ मैं
प्रश्न तो मात्र इतना ही है
कितनी सुरक्षित हूँ मैं ?
क्या वास्तव में यह कुटुम्ब है मेरा ?