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Raju Kumar Shah

Tragedy

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Raju Kumar Shah

Tragedy

जहां कीमती था वह

जहां कीमती था वह

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कह लो बुरा भला, खुन्नशें मिटा लो,

आंखें फेर लो, उपेक्षित कर मेरा मन दुखा लो!


चलो मेरे काम न आया मेरा दिल,

तुम्हीं खेलो इससे अपना दिल बहला लो!


वैसे भी अब कीमत क्या है इसकी,

जहां कीमती था वहां से इसे

निकालकर अलग रख दिया है,


हक तो अपना कब का खो चुका था ये,

अब तोड़ने के लिए इसे,

तेरी हथेली पर रख दिया है!


सफेद कागजों को रंगीन कर

कई रंगीन ख्याल बनाए थे,

फिसलकर गिर पड़े आंसू,

उन रंगीन सी परतों पर, 

सफेद रंग उभर आए थे।


लोग पुंछतें है इन अजीब सफेद रंगों की असलियत,

हमने सफगोई से उसे सफेद ही बताकर रख दिया है!

हक तो अपना कब का खो चुका था ये,

अब तोड़ने के लिए इसे,

तेरी हथेली पर रख दिया है!



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