चांद!
चांद!
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ऐ! चांद! उतर आओ न!
ऐ! चांद! उतर आओ न!
मैं रात अकेला बन बैठा हूं,
अब साथ तुम निभाओ न!
ऐ! चांद! उतर आओ न!
देखो न ये तारे, बहुत दूर खड़े हैं मुझसे,
आपस में बतियाते, पर रूठे लगते मुझसे,
तन्हाई अब काटे,तुम ही मीत बन जाओ न!
ऐ! चांद! उतर आओ न!