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Raju Kumar Shah

Others

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Raju Kumar Shah

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चांद!

चांद!

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ऐ! चांद! उतर आओ न!

ऐ! चांद! उतर आओ न!

मैं रात अकेला बन बैठा हूं,

अब साथ तुम निभाओ न!

ऐ! चांद! उतर आओ न!


देखो न ये तारे, बहुत दूर खड़े हैं मुझसे,

आपस में बतियाते, पर रूठे लगते मुझसे,

तन्हाई अब काटे,तुम ही मीत बन जाओ न!

ऐ! चांद! उतर आओ न!


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