STORYMIRROR

Raju Kumar Shah

Tragedy

4  

Raju Kumar Shah

Tragedy

अपनी तकदीर से

अपनी तकदीर से

1 min
239

आज से नहीं, पुरानी रंजिश चली आ रही है, अपनी तकदीर से !

कभी पलटी नहीं, हमें हमेशा बांध के रखती है जंजीर से।


पर! बिना कठपुतली बने हम लड़तें है,

जीत जीत के हारते है और आगे बढ़ते है,


फिर एक बड़ी फिसलन आती है, शिखर से कुछ कदम पहले,

लुढ़क जाते है, चोट खाते है,

और घायल हो जाते है, कमर में बंधी, अपनी ही शमसीर से !


आज से नहीं, पुरानी रंजिश चली आ रही है, अपनी तकदीर से !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy