वक़्त का सब शोर ही करते रह गए, वह था कि चुपके से निकल गया। वक़्त का सब शोर ही करते रह गए, वह था कि चुपके से निकल गया।
मानवता के क्षितिज तक कृष्ण सह कबीर चलें। मानवता के क्षितिज तक कृष्ण सह कबीर चलें।
पाँच सालों में बन जाते हैं अदना से अरबपति चंद सिक्के भी हमें ठीक से कमाना नहींं आता। पाँच सालों में बन जाते हैं अदना से अरबपति चंद सिक्के भी हमें ठीक से कमाना नहींं...
मैं पूछती हूँ, क्या हम इंसान नहीं ? जिस माँ-बाप ने हमको पाला, क्यों उनके घर में उनके लिए स्थान... मैं पूछती हूँ, क्या हम इंसान नहीं ? जिस माँ-बाप ने हमको पाला, क्यों उनके घर ...
तलवार की धार पर कदम रखकर जीते हैं लोग ज़िन्दगी बोझ लगने लगी ऐसे रवायतों से तलवार की धार पर कदम रखकर जीते हैं लोग ज़िन्दगी बोझ लगने लगी ऐसे रवायतों से
राह आसान दिखा मुझे उलझा दिया तूने, जीने की आदी पहेली को सुलझा दिया तूने, राह आसान दिखा मुझे उलझा दिया तूने, जीने की आदी पहेली को सुलझा दिया तूने,