मानवता के क्षितिज तक कृष्ण सह कबीर चलें। मानवता के क्षितिज तक कृष्ण सह कबीर चलें।
अपने हाथों से ही, अपनी मोहब्बत को विदा किया ! अपने हाथों से ही, अपनी मोहब्बत को विदा किया !
करूंगी उजाला जैसे फुलझड़ी हूं, आने दो न पापा मैं तो आपकी परी हूं। करूंगी उजाला जैसे फुलझड़ी हूं, आने दो न पापा मैं तो आपकी परी हूं।
झूल रही थी जिस दिन झूला उस दिन था तूने बोला पेंग बढ़ा कर नभ को छूना वहाँ तेरा मामा झूल रही थी जिस दिन झूला उस दिन था तूने बोला पेंग बढ़ा कर नभ को छूना वहा...
अनायास ही भीतर से फिर यह प्रश्न है आता। अनायास ही भीतर से फिर यह प्रश्न है आता।
साहस शौर्य पराक्रम से अब मानव तू नित्य कर्मपथ पर बढ़। साहस शौर्य पराक्रम से अब मानव तू नित्य कर्मपथ पर बढ़।