हाथ की लकीरों को छोड़ मेहनत पर यकीन करने का विश्वास दिलाती कविता... हाथ की लकीरों को छोड़ मेहनत पर यकीन करने का विश्वास दिलाती कविता...
हां ! अकेली नहीं होती हूं मैं जब तुम मेरे पास नहीं होते। हां ! अकेली नहीं होती हूं मैं जब तुम मेरे पास नहीं होते।
पर माँ वही सिरहाने पे बैठी मुझे थपकियाँ दिए जा रही थी। पर माँ वही सिरहाने पे बैठी मुझे थपकियाँ दिए जा रही थी।
जो साँसों में मचलता है जाने वो मेरा क्या है ? जो साँसों में मचलता है जाने वो मेरा क्या है ?
फिर भी मन जवान है उम्र आड़े क्यों आए। फिर भी मन जवान है उम्र आड़े क्यों आए।
बूढ़ाते पेड़ के जड़ कोठर में फिर फूट पड़े कोई बीज। बूढ़ाते पेड़ के जड़ कोठर में फिर फूट पड़े कोई बीज।