भावों में बहती हूँ फिर शब्दों को रचती हूँ , हां मैं कविता लिखती हूँ।
जिसके छाया में वो मानव खड़ा होकर व्यंग कर रहा था जिसके छाया में वो मानव खड़ा होकर व्यंग कर रहा था