मन में दबाकर रखने में कौन सी होशियारी है। मन में दबाकर रखने में कौन सी होशियारी है।
दुख हो चाहे सुख हो, तेरे संग काटूं मैं... बनके तेरी छाया, तेरे संग भागूं मैं.. दुख हो चाहे सुख हो, तेरे संग काटूं मैं... बनके तेरी छाया, तेरे संग भागू...
हाथ की लकीरों को छोड़ मेहनत पर यकीन करने का विश्वास दिलाती कविता... हाथ की लकीरों को छोड़ मेहनत पर यकीन करने का विश्वास दिलाती कविता...
झुका दूँगा अब सबको चाहे आए क़यामत। झुका दूँगा अब सबको चाहे आए क़यामत।
गिले शिकवे करो खुलकर हमारी बात रहने दो, पता है एक दिन खुद ही तुम मुझसे माफ़ी मांगोगे। गिले शिकवे करो खुलकर हमारी बात रहने दो, पता है एक दिन खुद ही तुम मुझसे माफ़ी म...
टूटे ना बस वक्त के थपेड़ों से निभाओ उजाले के नेग रिवाज ! टूटे ना बस वक्त के थपेड़ों से निभाओ उजाले के नेग रिवाज !