क़यामत
क़यामत
निकले तो राह में अकेले हम
हो लिए आप साथ मेरे
मीलों का सफर जैसे
कदम भर का फासला
जाने कैसे रूह की ताकत
बन गए आप।
वो आपका यूँ हँस देना
मेरे लिए बना
एक अफ़साना
एक मेरे विश्वास को देखिये
एक बस आपके ख्याल से ही
सब पा गए हम लगता है।
दो नहीं एक हैं हम
मुद्दत बाद यूँ लगा
सब पर हो जाएगी फतह मेरी
अब अकेला नहीं मैं
आप को पाने के लिए।
एक भरोसे ने दिया हौसला
जैसे एक साथ ने आपके
दी ग्यारह सी ताकत
झुका दूँगा अब सबको
चाहे आए क़यामत।

