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Rajeev Rawat

Romance

4  

Rajeev Rawat

Romance

वह मोड़--दो शब्द

वह मोड़--दो शब्द

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जिंदगी में जब कभी तुम

भूले भटके ही सही कभी उस मोड़ पर लौट कर आओगी-

मैं रहूं या न रहूं मगर तेरी राहों में

कल भी

इंतज़ार - ए-इश्क में

गाफिल मेरा दिल पाओगी-

आहिस्ता कदम रखना

कहीं दिल की किरचें न चुभ जायें-

तेरी झील सी आंखों से

दर्द भरे दो अश्रु न छलक जायें-


क्योंकि

मर कर भी देखना चाहता हूं

वह चेहरा जो शरमाते हुए मुस्कराता था-

जब बांहों में होती थी

तो पूरा महताब बाजुओं में समाता था-

उन बरसती बूंदों में

मेरे आंसू ही छलकते हैं

गर अहसास अब जिंदा हो तेरे सीने में-

मुझे न दर्द था

न कल और आज होगा

तेरी एक मुस्कान के लिए गरल पीने में-

भुलाना मुश्किल होगा मुझे

भला ही कितनी दूर जाओगी -

तन्हाई में

आंखें करोगी बंद तो यादों में पाओगी

जिंदगी में जब कभी तुम

भूले भटके ही सही कभी उस मोड़ पर लौट कर आओगी-

मैं रहूं या न रहूं मगर तेरी राहों में

कल भी

इंतज़ार - ए-इश्क में

गाफिल मेरा दिल पाओगी-

                


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